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ब्रीफ टेल्स–लाइट ऑफ कर दो

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“फाइनली आज का भाग लिखा गया।” मैने फोन को बराबर में रखते हुए कहा और फिर अलसाई हुई आवाज में आगे बोली। “ये लाइट अपने आप भी तो बंद हो सकती है। इसके लिए भी मुझे ही उठना पड़ेगा?” मैने उम्मीद भरी निगाहों से बल्ब को देखते हुए कहा। मानो वह मेरी बात मान कर अपने आप ही बंद हो जाएगा। मैने इतना सोचा ही था कि मेरे कमरें की लाइट अचानक से जलने बुझने लगी। “ये क्या हो रहा है?” मैने बल्ब को देखते हुए कहा। अचानक हुई इस घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया। मेरे दिमाग में तरह तरह के विचार आने लगे। “ऐसा कैसे हो सकता है?” मैने फुसफुसाते हुए खुद से पूछा और फिर आगे बोली। “कौन कर रहा है ये सब?” किसी ने कोई जवाब नही दिया। “लाइट की प्रॉब्लम तो नही?” मैने बल्ब को देखते हुए कहा और फिर आगे बोली। “पर लाइट तो इन्वेटर पर जल रही है।” इतना कहते हुए मै बल्ब को बड़े ध्यान से देखने लगी। मै कुछ समझ पाती उस से पहले ही बल्ब की रोशनी से धीरे धीरे एक आकृति बनने लगी। जब वह आकृति पूरी तरह से बन गई तो मैने पाया कि वह किसी का हाथ था। वह हाथ हुबहू मेरे हाथ के जैसा था। “मेरे दोनों हाथ तो मेरे पास ही है।” मैने अपने हाथों को देखते हुए कहा और फिर उस हाथ को देखने लगी।

वह हाथ बल्ब के पास से चल दिया और बोर्ड की तरफ जाने लगी। मै बड़े ध्यान से उस उस हाथ को देखने लगी। बोर्ड के पास पहुंचते ही उसने बल्ब बंद कर दिया और उसी के साथ मेरी आंखे भी खुल गई। मैने आंखें खोली तो पाया कि बल्ब पहले की तरह ही जल रहा था। “इतनी भी लेजीनेस सही नही। भूत आकर लाइट बंद करे, उससे अच्छा तो तू खुद खड़ी होकर बंद कर दे। अगर उन्हे भूख लग गई तो इतनी रात को उनके लिए कौन खाना बनाएगा?” मैने खुद से कहा और फिर आगे बोली। “वे तुझे ही अपना खाना बना लेंगे।” मैने अपने विचारों को दरकिनार किया और फिर अपने बिस्तर से खड़ी हो गई। उठकर मैने बल्ब बंद किया और वापिस कंबल के अंदर आ गई और फिर मुस्कुराते हुए बोली। “एक और कहानी मिल गई।”

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सर्दी में बाहर निकलने का मन नही करता तो ये अजीबों गरीब ख्याल आते रहते है😂

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